शहीदों को नमन Amar Jawan Sardhanjali
वीरों की कुर्बानी का
ना करो तुम ऐसे नुमाइश
होती नहीं उन्हें इसकी ख्वाहिश
देना है तो दो उन्हें आतंकियों का शीश
नम आंखों से अब कर दो विदाई
सच्ची नमन तो वह होगी ।
हाथों में तिरंगा लिए
सड़कों पर जो उतर आए
लिपट कर तिरंगे में आने को
कर हौसला बुलंद धरती को जो लाल दिए
सच्ची नमन तो वह होगी ।
जिनके दम पर हम खेले होली
खेल गए हमारे लिए वह खून की होली
घरों में बैठ खुद की परवाह करते रहे हम
सीमा पर वह सीना ताने
अपने घरों को वो छोड़ते रहे
घरों में जो उनकी खुशियां लाए
मुस्कुराहट का सौगात पहुंचाए
सच्ची नमन तो वो होगी ।
खड़े हैं राहों में मोमबत्ती लिए
नेताओं संग जुलूसो में
लोगों के दिलों में
बदले की चिंगारी को बनाकर ज्वाला
जगा दे इंसानों को
न्याय की मसाल लिए
चल पड़े संग लिए देशवासियों को
सच्ची नमन तो वो होगी ।
चिराग जो बुझ गए घरों के
कोई चिराग जो उठ खड़ा हो बनके मिसाल
बुझे घरों में दीप जला दे
अंधेरे घरों को रौशन कर दे
सच्ची नमन तो वो होगी
बूढ़े पिता की लाठी बन जाए
उजड़े मांगों का आंचल सजाए
मासूमों का थाम कर हाथ
मजबूत सा एक छत बन जाए
सच्ची नमन तो वो होगी ।
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लेकर मातृभूमि की रक्षा का प्रण
सब बना ले जो इसे अपना धर्म
चल पड़े एक दूजे के कदमों संग
आतंको का सफाया करना ही
बन जाए सबका अपना कर्म
सच्ची नमन तो वो होगी ।