Difference Between Shiv and Shanker in Hindi:
हिंदू धर्म में हम जितना अपने वेदों और पुराणों को पढ़ते जाएंगे, हम उतना ही इसमें खोते जाएंगे। इन सब में बहुत सारी रहस्य छुपे हुए हैं। जिसे हम, इसका बिना पूर्ण अध्ययन किए समझ ही नहीं सकते। हम में से ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि शिव ही शंकर है। लेकिन अगर हम अपने वेदों और पुराणों को सही से पढ़ें, तो हमारे समझ में आएगा कि यह सच नहीं है। आज हम आपको अपने इस पोस्ट में बताने वाले हैं “शिव” और “शंकर” में क्या अंतर है? Difference Between Shiv and Shanker.
Difference Between Shiv and Shanker
दरअसल हम में से बहुत सारे लोग ‘शिव’ और ‘शंकर'(Shiv and Shanker) को एक ही मानते हैं। लेकिन यह सच नहीं है। शंकर भगवान जिन्हें हम महेश भी कहते हैं। वह त्रिमूर्ति का हिस्सा है। जिससे यह पूरी सृष्टि का निर्माण हुआ है। यानी कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश। ब्रह्मा का कार्य सृष्टि का निर्माण करना, विष्णु का कार्य इस सृष्टि को चलाए रखना और महेश का कार्य सृष्टि का विनाश करना है। ताकि दोबारा सृजन किया जा सके। इस त्रिमूर्ति के तीनों भाग एक आकार में है। ब्रह्मा को कमल के साथ दिखाया जाता है। विष्णु को सुदर्शन चक्र के साथ दिखाया जाता है। और महेश को त्रिशूल के साथ दिखाया जाता है। इस तरह शंकर भगवान भी एक आकार में है। और उनका कार्य विनाश करना है। और शिव को इन सब से ऊपर बताया गया है। यानी कि उनका कोई आकार नहीं है। वही अनंत सृष्टि का सच है। उनकी ही पूजा लिंगम की तौर पर की जाती है। यानी भगवान के भी वह रचयिता है। जिन्होंने यह त्रिमूर्ति को बनाया है। अनंत सृष्टि का निर्माण भी उन्होंने ही किया है।
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शिवलिंग के ऊपर तीन रेखाएं निर्मित की जाती है। और इन तीनो रेखाओं का मतलब होता है त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी और त्रिलोकनाथ। त्रिनेत्री का अर्थ है ज्ञान का तीन नेत्रों वाला। त्रिकालदर्शी का अर्थ है जो समय के तीनों भागों को देख सकें। त्रिलोकनाथ का अर्थ है तीनों लोगों का भगवान।
अगर हम अपने वेदों और पुराणों का अध्ययन करें। तो उनमें हर जगह यही लिखा है कि, भगवान शिव निरंकारी है। और उनका कोई आकार नहीं है। उनका कोई रूप नहीं है। सब उनसे ही उत्पन्न हुए हैं। और एक दिन सब उनमें ही मिल जाएंगे। उन्हें ही सदा शिव कहा जाता है। शंकर भगवान भी भगवान शिव का ही एक अंश है। लेकिन इस भौतिक दुनिया में शंकर भगवान को भी अपना कार्य करना पड़ता है। परंतु भगवान शिव तो हर जगह है। वही सब कुछ है, और वही कुछ नहीं। शिव को ही हम हर नाम दे सकते हैं, क्योंकि वो बिना आकार हैं। बिना रंग रूप है, वही नारायण है, वही कृष्ण है, और वही शिव है। Difference Between Shiv and Shanker
अगर हम प्राचीन पुराणों में पढ़ें तो हमें यह मिलेगा कि शंकर भगवान भी योग मुद्रा में शिव को ही महसूस करते हैं। समय के साथ दोनों ही नामों को एक समझ लिया गया। लेकिन शंकर भगवान हैं अंश उस महान शक्ति का। भगवन शिव हर चीज में है, हर देव में है, हर मनुष्य में है। आप भी उन्हें महसूस कर सकते हैं, आप भी उन्हें देख सकते हैं, बस उन्हें देखने के लिए आपके मन में भी शिव होने चाहिए।
I AM NOT SATIFIED BECAUSE ISAMAI BOLA GAY HAI KI SHIV SAB MAI HAI MANUSHAY MAI HAI YAI TO BAHUT GALAT HAI .
mai aapke ke ans se satisfied hu mujhe pahale se bhi pta hai