Mahabharata Secret Story in Hindi:-
महाभारत का युद्ध इतिहास में वर्णित एक बहुत ही भयानक युद्ध था। जो धर्म और अधर्म के बीच हुआ था। महाभारत के युद्ध में विजय धर्म की हुई थी। दोस्तों महाभारत का युद्ध जितना इतिहास में प्रसिद्ध है,उतना ही महाभारत के हर एक पात्र जो महाभारत में भाग लिए वह सब भी उतने ही प्रसिद्ध है। महाभारत में कुछ महान पात्र भी थे। जिन्हें महाभारत का नायक कहा जाए तो कोई गलत बात नहीं होगी। महाभारत युद्ध के नायक कहे जाने वाले यह सभी पात्र किसी न किसी परम पुरुष या भगवान के अवतार थे। कोई देवताओं के अवतार थे। तो कोई गंधर्व के,तो कही खुद भगवान श्री हरि विष्णु श्री कृष्णा के रूप अवतार लेकर महाभारत के इस धर्म युद्ध में भाग लिया। आज हम आपको अपने पोस्ट में बता रहे हैं महाभारत युद्ध के कुछ चुनिंदा नायकों के बारे में। बता रहे हैं आपको कि आखिर महाभारत के पात्र किसके अवतार थे?
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दोस्तों महाभारत के अनुसार वशिष्ठ ऋषि के श्राप के कारण व इंद्र की आज्ञा से 8 वसु, शांतनु और देवी गंगा के पुत्र के रूप में उत्पन्न हुए। और उनमें सबसे छोटे पितामह भीष्म थे।
भगवान श्री हरि विष्णु ने स्वयं धरती से पापियों और अधर्म का नाश करने के लिए भगवान श्री कृष्ण के रुप में इस धरती पर अवतरित हुए थे।
भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के अवतार थे।
महाभारत में पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य का जन्म देवगुरु बृहस्पति के अंश से हुआ था।
अश्वत्थामा जो कि द्रोणाचार्य का पुत्र था। वह महादेव,याम,काम और क्रोध के सम्मिलित अंश से उत्पन्न हुआ था।
कृपाचार्य का जन्म में रुद्र के एक गन ने लिया था।
भगवान सूर्य के अंश धर्म ही विदुर के नाम से महाभारत में प्रसिद्ध हुए।
धृतराष्ट्र के रूप में अनिष्ठा के पुत्र हंस नामक गंधर्व में जन्म लिया था। तथा हंस का छोटा भाई पांडु का के रूप में जन्म लिया था।
शकुनि जिसने महाभारत की पृष्ठभूमि तैयार की थी उसका जन्म द्वापर युग के अंश से हुआ था।
सिद्धि और कृतिका ने कुंती और माद्री के रूप में जन्म लिया था।
मति का जन्म पांडवों की मां गांधारी के रूप में हुआ था।
महारथी दानवीर कर्ण का जन्म भगवान सूर्य के अंश से हुआ था।
पांडवों के अवतारों में युधिष्ठिर धर्म के, भीम वायु के, अर्जुन इंद्र के तथा नकुल व सहदेव अश्वनी कुमारों के अंश से इन सभी का जन्म हुआ था।
दुर्योधन कलयुग का अवतार था। तथा उसके 100 भाई पुलस्त्यवंश के राक्षस के अंश से जन्म लिए थे।
देवी लक्ष्मी राजा भीष्मक की पुत्री रुकमणी के रूप में जन्म ली थी। और द्रोपदी के रूप में इंद्रानी का जन्म हुआ था।
चंद्रमा के पुत्र वर्षा के अंश से अभिमन्यु का जन्म हुआ था।
सात्यकी,द्रुपद,कृतवर्मा व विराट का जन्म मरुद्गण के अंश से हुआ था।
शिखंडी का जन्म एक राक्षस के अंश से हुआ था। जबकि अग्नि के अंश से धृष्टधुम्न का जन्म हुआ था।
द्रोपदी के पांचों पुत्र प्रतिविन्ध्य, सुतसोम, श्रुतकीर्ति, शतानीक और श्रुतसेव के रूप में विश्व देवगन ने जन्म लिया था।
कंस के रूप में कालनेमि दैत्य ने जन्म लिया था।
जरासंध के रूप में दानवराज विप्रचित्ति और शिशुपाल के रूप में हिरण्यकशिपु ने जन्म लिया था।
देवराज इंद्र की आज्ञा से ही अप्सराओं के अंश से 16000 स्त्रियां उत्पन्न हुई थी।
इस प्रकार महाभारत में शामिल होने वाले देवता असुर गंधर्व अप्सरा और राक्षस अपने अपने मन से मनुष्य के रुप में जन्म लिए थे।
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