Mahalakshmi Temple Mystery in Hindi मुंबई के सर्वाधिक प्राचीन मंदिर में से एक है, यहां का महालक्ष्मी मंदिर। समुद्र के किनारे देसाई रोड पर स्थित यह मंदिर अत्यंत सुंदर आकर्षक और लाखों लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। आज हम आपको अपने इस पोस्ट के माध्यम से आपको मुंबई स्थित “महालक्ष्मी मंदिर” “Mahalakshmi Temple” के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे। जिसमे आप यह जानेगे की आखिर क्यों यह मंदिर(Mahalakshmi Temple) पूरी दुनिया के आकर्षण का केंद्र है।
Mahalakshmi Temple Mystery in Hindi
इस मंदिर के निर्माण सन 1831 ‘धागजी तादर’ नाम के एक हिंदू व्यापारी ने करवाया था। इस आकर्सक मंदिर के पीछे भी एक अनोखी घटना है। बताया जाता है,बहुत समय पहले मुंबई में वर्ली और मालाबार हिल को जोड़ने के लिए दीवार का निर्माण कार्य चल रहा था। सैकड़ों मजदूर इस दीवार के निर्माण कार्य में लगे हुए थे,मगर हर दिन कोई ना कोई बाधा आ रही थी। इसके कारण ब्रिटिश इंजीनियर काफी परेशान हो गए थे। इतनी मेहनत के बावजूद भी दीवार खड़ी नहीं हो पा रही थी, कई बार तो पूरी दीवार ही डह गई। समस्या का कोई समाधान नहीं मिल पा रहा था।
इसी बीच इस प्रोजेक्ट के मुखिया अभियंता ने एक सपना देखा… उनके सपने में मां लक्ष्मी प्रकट हुई, और कहा कि वर्ली में समुद्र के किनारे मेरी मूर्ति है। उस मूर्ति को वहां से निकालकर समुद्र के किनारे ही मेरी स्थापना करो ऐसा करने से हर बाधा दूर हो जाएगी, और वर्ली, मालाबार हिल के बीच की दीवार आसानी से खड़ी हो जाएगी। मुख्य अभियंता को काफी आश्चर्य हुआ उसने मजदूरों को स्वप्न में बताए हुए स्थान पर जाने के लिए कहा, और मूर्ति ढूंढ लाने का आदेश दिया।
आदेश अनुसार कार्य हुआ थोड़ी मेहनत के बाद ही महालक्ष्मी की भव्य मूर्ति प्राप्त हुई। यह देखकर स्वप्न पाने वाले अभियंता के शीश नतमस्त हो गया। पहले वह असमंजस में था की पता नहीं सपने का बात सत्य है,या नहीं। लेकिन स्वप्न सत्य होते ही उसका रोम रोम श्रद्धा से रोमांचित हो उठा। माता के आदेशानुसार समुद्र के किनारे उस मूर्ति की स्थापना की गई और छोटा सा मंदिर बनाया गया।
“Mahalakshmi Temple” मंदिर निर्माण के बाद वर्ली मालाबार हील के बीच की दीवार बिना किसी विघ्न बाधा की खड़ी हो गयी। इस पर प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट में शामिल लोगों ने सकून की सांस ली। ब्रिटिश अधिकारियों को भी दैवीय शक्तिओं पर पर विश्वास करना पड़ा। इसके बाद तो इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी।
शन 1831 में धागजी तादर नामक एक व्यापारी ने छोटे से मंदिर को बड़ा स्वरूप दिया एवं इसका जीरेद्वार करबाया गया। समुंद्र किनारे होने के कारण मन्दिर की सुंदरता देखते ही बनती है। यहां आपको महालक्ष्मी के अलावा महाकाली एवं महालक्ष्मी की भव्य प्रतिमा देखने को मिलेगी। तीनो मूर्तियों को सोने के नथ एवं सोने की चूड़ियां मोतियों की हार से सजाया गया गया था। इन प्रतिमाओं के दर्शन से ही चित भाव विभोर हो जाता है इस मंदिर में महालक्ष्मी को शेर पर सवार होता दिखाई दिया जाता है जो भैसासुर का वाद कर रही है। इस मंदिर में माँ लछमी को शेर पर सवार होते दिखाया गया है, जो महिसासुर का बद्ध कर रही है। आम तौर पर दर्शनत्मिक महालक्ष्मी की वास्तविक प्रतिमा को नहीं देख पाते है। क्योंकि वास्तविक प्रतिमा को आवरण से ढक दिया गया है।
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इस मंदिर(Mahalakshmi Temple) के पुजारी ने बताया कि असली प्रतिमा को देखने के लिए रात को यहां आना पड़ता है। रात के लगभग नौ बजकर तीस(9:30) बजे प्रतिमा से आग्रन हटाया जाता है। 10 से 15 मिनट के बाद पुनः प्रतिमा के ऊपर आवरण चढ़ा दिया जाता है, प्रतिमा के वास्तविक रूप का दर्शन बहुत कम लोग ही कर पाते हैं।
रात में आवरण से ढकने के उपरांत मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया जाता है। सुबह साफ सफाई के बाद माता का विशेख होता है। और फिर देशभर से आये दार्शानिको का दर्शन करने का सिरसिला शुरु हो जाता है।
मंदिर मे एक दीवार है जहां आपको बहुत सारे सिक्के चिपके हुए मिलेंगे, कहा जाता है भक्त गण अपने मनोकामनाओ के साथ सिक्के चिपकाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि सच्चे दिल से मांगी गई हर मनोकामनाएं यहां पूरी होती है। आप भी यहां सिक्के चिपकाकर देख सकते हैं, इस दीवार पर आसानी से सीखें चिपक जाते हैं।
दोस्तों आप अगर कभी मुंबई आए तो महालक्ष्मी के दर्शन करना मत भूलिएगा। इस पोस्ट “Mahalakshmi Temple Mystery in Hindi” से जुड़ा कोई सवाल आपके मन में है तो कमेंट बॉक्स में निसंदेह पूछिएगा। अगर पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर करना मत भूलियेगा। धन्यबाद॥