Padma Purana in Hindi: पद्म पुराण प्रमुख रुप से एक वैष्णव पुराण है। इस पुराण को पढ़ने से व्यक्ति का जीवन पवित्र हो जाता है। 18 पुराणों में पद्मपुराण का एक विशिष्ट स्थान है। दोस्तों पद्म पुराण में 55000 श्र्लोक हैं, जो की पांच खंडों में विभक्त है। जिसमें पहला खंड है सृष्टिखंड, दूसरा भूमिखंड, तीसरा स्वर्गखंड, चौथा पातालखंड और पांचवां उत्तराखंड है। इस पुराण में पृथ्वी आकाश तथा नक्षत्रों की उत्पत्ति के बारे में वर्णन किया गया है। तथा इस धरती पर चार प्रकार से जीवो की उत्पत्ति कैसे होती है, जिन्हें उदिभज, स्वेदज, अणडज तथा जरायुज कि श्रेणी में रखा गया है। पद्म पुराण में भारत के सभी पर्वतों तथा नदियों के बारे में भी विस्तृत संकलन है। यह पुराण में शकुंतला दुष्यंत से लेकर भगवान श्रीराम तक के कई पूर्वजों का इतिहास अपने में समेटे है। शकुंतला दुष्यंत के पुत्र भरत के नाम से ही हमारे देश का नाम भारत पड़ा। प्राचीन काल में हमारे देश का नाम जम्मू दीप था। दोस्तों संपूर्ण जगत स्वर्णमय कमल (पद्म) के रूप में इस पुराण में परिणित था, इसी कारण से इस पुराण का नाम पद्मपुराण पड़ा। Padma Purana in Hindi
तच्च पद्मं पुराभूतं पष्थ्वीरूप मुत्तमम्। यत्पद्मं सा रसादेवी प ष्थ्वी परिचक्ष्यते।। (पद्मपुराण)
दोस्तो इस श्लोक का अर्थ है, कि जब भगवान श्री हरि विष्णु की नाभि से कमल पुष्प उत्पन्न हुआ था। तब वह पृथ्वी की तरह ही था। उस कमल पद को ही रसा या पृथ्वी देवी कहा जाता है। इस संपूर्ण सृष्टि में अभिव्याप्त आग्नेय प्राण ही ब्रह्मा है, जो चतुर्मुख रूप में चारों ओर फैले हुए अनंत सृष्टि की रचना करते हैं। और श्री हरि विष्णु जिनकी नाभि से वह दिव्य कमल पुष्प निकला है। वह भगवान सूर्य के समान पृथ्वी का पालन पोषण करते हैं।
जानिए ब्रह्म पुराण क्या है?
दोस्तों पद्मपुराण के अनुसार जो व्यक्ति ज्यादा कर्मकांडों पर ना जा कर, साधारण जीवन व्यतीत करते हुए सदाचार और परोपकार के मार्ग पर चलता है…. तो उस व्यक्ति को भी पुराणों का पूर्ण फल मिलता है। तथा वह दीर्घजीवी हो जाता है। इससे जुड़ा एक कथा भी प्रसिद्ध है…..
भष्गु के पुत्र. मष्कण्डु की कोई संतान नहीं था। तब उन्होंने जंगल में जाकर अपनी पत्नी के साथ कठोर तपस्या की, जिसके परिणाम स्वरुप उनके यहां एक पुत्र का जन्म हुआ। उन दोनों ने उस बालक का नाम मार्कण्डेय रखा। दोस्तों जब मारकंडे 5 वर्ष के हुए, तब मष्कण्डु की कुटिया में एक दिन एक सिद्ध योगी आए। जब बालक मार्कण्डेय ने उस सिद्ध योगी को प्रणाम किया, तो वह योगी चिंताग्रस्त हो गए। तब मष्कण्डु ने योगी जी से उनकी चिंता का कारण पूछा, तब उस सिद्ध योगी ने कहा ऋषिवर आपका पुत्र बहुत सुंदर, सुशील और ज्ञानवान है। परंतु दुर्भाग्य से इसकी आयु केवल 6 मास ही शेष है। ऋषि मष्कण्डु ने उसे सिद्धि ऋषि की बात बड़े ही ध्यान से सुना। तत्पश्चात उन्होंने अपने पुत्र मार्कण्डेय का यज्ञोपवीत संस्कार करवाया और उसके नियम ही बताएं। फिर अपने पुत्र से बोले, तुम्हें अपने जीवन से जो भी बड़ा मिल जाए, तुम उन्हें प्रणाम करना। Padma Purana in Hindi
अपनी पिता की आज्ञा मानकर बालक मार्कंडेय परिचित-अपरिचित जो भी उन्हें मिलता, जो उन से आयु में बड़ा होता… उन्हें वह प्रणाम जरूर करते थे। धीरे-धीरे समय बीतता गया और छठा महीना आ गया। जब बालक मार्कंडेय की मृत्यु में 5 दिन का समय शेष रहा, तो संयोगवश सप्तऋषि उधर से ही जा रहे थे। बालक मार्कंडेय ने सब सप्तर्षियों को प्रेम पूर्वक पैर छूकर प्रणाम किया। तब सप्तऋषि में बालक मार्कंडेय को आयुष्मान भवः वत्स, का आशीर्वाद दिया। बाद में सप्तरिषि को एहसास हुआ कि इस बालक की आयु तो सिर्फ 5 ही दिन शेष बची है। तब सप्तऋषि सोचने लगे कि ऐसा क्या किया जाए, की हमारी बात झूठी ना हो। क्योंकि आयु, कर्म, वित्त, विद्या एवं निधन इन पांचों का निर्धारण सृष्टि के रचयिता कहे जाने वाले ब्रह्मा जी शिशु के गर्भ में ही रहने पर निर्धारित कर देते हैं।
इसलिए सप्त ऋषि ने सोचा इस बालक की आयु तो ब्रह्माजी ही बढ़ा सकते हैं। तब सप्तऋषि बालक मार्कंडेय को लेकर ब्रह्माजी के पास पहुंचे। अपने नियमानुसार बालक मार्कंडेय ने ब्रह्मा जी को विनयपूर्वक प्रणाम किया। सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने भी आयुष्मान भवः कह कर बालक मार्कंडेय को दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया। तब सप्त ऋषि ने ब्रह्मा जी को बताया इस बालक की उम्र अब 5 दिन ही शेष बच्ची है। इसलिए प्रभु आप कुछ ऐसा कीजिए जिससे आप भी झूठा ना हो, और ना ही मेरी बात झूठी हो पाए। तब ब्रहमदेव ने कहा इस बालक की आयु मेरी आयु के बराबर होगी। इस प्रकार प्रणाम करके मार्कंडेय जी ब्रह्मआयु प्राप्त करके चिरंजीवी हो गए। सृष्टि के विनाश के समय जब इस धरती पर प्रलय आया, तब भी ऋषि मार्कंडेय जीवित रहते हैं। और भगवान के दर्शन करते रहते हैं। चिरंजीवी होने के कारण ऋषि मार्कंडेय ने ना जाने कितने चर्तुयुगों को देख लिया है।
पद्मपुराण सुनने का फल:
इस ग्रन्थ ( पुराण) की कथा सुनने से जीव के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। धर्म की वृद्धि होती है, और मनुष्य ज्ञानी होकर इस संसार में फिर से पुनरजनम नहीं लेता। पद्मपुराण कथा सुनने से प्रेत तत्व भी शांत होता है। यज्ञ, तपस्या और तीर्थ स्थलों में स्नान करने से जो फल मिलता है। वही फल की प्राप्ति पद्म पुराण की कथा सुनने से भी जीव को मिलता है। पद्मपुराण को पढ़ना और इसकी कथा सुनना मोक्ष प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम उपाय है। Padma Purana in Hindi
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पद्म पुराण करवाने का मुहूर्त:
इस पुराण कथा करवाने के लिए सर्वप्रथम विद्वान ब्राह्मणों से उत्तम मुहूर्त निकलवाना चाहिए इस पुराण के लिए श्रावण-भाद्रपद, आश्विन, अगहन, माघ, फाल्गुन, बैशाख और ज्येष्ठ मास शुभ माना जाता है। लेकिन विद्वान ब्राह्मणों के अनुसार जिस दिन ब्रह्म पुराण की कथा प्रारंभ की जाए वही शुभ मुहूर्त है।
पद्म पुराण का आयोजन कहां करें:
पद्मपुराण करवाने के लिए अत्यधिक पवित्र स्थान होना चाहिए। विद्वानों के अनुसार जन्म भूमि में ब्रह्म पुराण करवाने का विशेष महत्व बताया गया है। इसके अतिरिक्त तीर्थ स्थल पर भी पद्म पुराण की कथा का आयोजन कर आप उसका फल प्राप्त कर सकते हैं। फिर भी मन को जहां संतोष पहुंचे उसी स्थान पर कथा सुनने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। Padma Purana in Hindi
पद्म पुराण करने के नियम:
पद्म पुराण का वक्ता विद्वान ब्राह्मण होना चाहिए। जिसे शास्त्रों और वेदों की बहुत अच्छी जानकारी हो।पद्म पुराण में सभी ब्राह्मण सदाचारी और अच्छे आचरण वाले हो। वह हर दिन संध्या वंदन और प्रतिदिन गायत्री जाप करते हो। इस कथा को करवाने में ब्राह्मण और यजमान दोनों 7 दिनों तक उपवास रखें। केवल एक ही समय भोजन ग्रहण करें। भोजन शुद्ध शाकाहारी होना चाहिए। अगर स्वास्थ्य खराब हो तो भोजन कर सकते हैं।