Secrets of the Mahabharata in Hindi : महाभारत हमारी प्राचीन महा ग्रंथों में से एक है। इसमें दी गई सारी बातें आज भी उतनी ही मान्य है जितनी जितनी उस काल में थी। महाभारत में दी गई कई घटना और ज्ञान विज्ञान के रहस्य छुपे हुए हैं। ज्यादातर लोगों का मानना है कि महाभारत की कहानी युद्ध के बाद समाप्त हो जाती है, पर असलियत में महाभारत की कहानी युद्ध के बाद शुरू होती है। कोई भी कहानी खत्म तब होती है जब उस कहानी के सारे राज खुल जाए। पर महाभारत में कई ऐसे राज्य हैं जिनका सुलझना अभी बाकी है, जिनका खुलना अभी बाकी है, जिन पर से पर्दा उठना अभी बाकी है।
तो दोस्तों आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में बताने जा रहे हैं महाभारत से जुड़े हुए तीन ओ रहस्य जिनका सुलझना अभी बाकी है। 3 Secrets of the Mahabharata
18 अंक का रहस्य Secrets of the Mahabharata
कहा जाता है कि महाभारत के साथ 18 अंक का कोई ना कोई रहस्य जरूर है जिसका अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। वेदव्यास जी के द्वारा लिखी गई महाभारत में कुल 18 अध्याय है, 18 दिन तक है महाभारत का युद्ध चला, भगवत गीता में भी कुल 18 अध्याय हैं, भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को 18 दिन तक गीता का ज्ञान दिया, कौरवों और पांडवों की सेना में भी कुल 18 अक्षौहिणी सेना थी जिनमें कौरवों के 11 और पांडवों की 7 अक्षौहिणी सेना थी, इस युद्ध में प्रमुख सूत्रधार भी 18 ही थे, और महाभारत युद्ध के अंत में 18 योद्धा ही जीवित बचे थे। अब सवाल यह उठता है कि सबकुछ 18 की संख्या में क्यों होता गया? क्या सिर्फ यह एक संयोग था फिर इसमें कोई रहस्य छुपा हुआ था? यह ऐसा राज है जिसे अभी तक सुलझा नहीं गया है, इस राज पर से पर्दा उठना अभी बाकी है।
ब्रह्मास्त्र का रहस्य Secrets of the Mahabharata
मोहनजोदड़ो की खुदाई में कुछ ऐसे कंकाल मिले थे जिनमें रेडिएशन का काफी ज्यादा असर था। भारत में जो ‘सौप्तिक पर्व’ है उसमें अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र के परिणाम दिए गए हैं। हिंदू इतिहास जानकारों के मुताबिक 3 नवंबर 5561 ईसा पूर्व छोड़ा गया ‘ब्रह्मास्त्र’ परमाणु बम ही था। महाभारत में भी इसका वर्णन मिलता है। अब यहां भी सवाल यह उठता है कि क्या सच में ही हमारी आज की टेक्नोलॉजी से कहीं ज्यादा उन्नंत थी महाभारत काल की टेक्नोलॉजी। इस रहस्य का भी पता अभी तक नहीं लगाया जा सका है।
वेद व्यास का रहस्य Secrets of the Mahabharata
दोस्तों ज्यादातर लोग यह जानते हैं की महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास ने की है। लेकिन यह अधूरा सच है ‘वेदव्यास’ कोई नाम नहीं वल्कि यह एक उपाधि थी। जो वेदों का ज्ञान रखने वालों को दी जाती थी। हमारे पुराण बताते है की ‘कृष्ण द्वैपायन’ से पहले 27 वेदव्यास हो चुके थे। जबकि वह खुद 28 में वेदव्यास थे। उनका नाम कृष्ण द्वैपायन इसलिए रखा गया था, क्योंकि उनका रंग सांवला था और वह एक वीक में जन्मे थे। अक्सर लोग यह सोचते हैं कि वेदव्यास कोई एक आदमी था (एक व्यक्ति था) जो रामायण काल में भी था, और द्वापर में भगवान श्री कृष्ण के साथ भी था। पर यह सरासर गलत है।
वेदव्यास कोई एक आदमी नहीं थे, बल्कि वेदव्यास सिर्फ एक उपाधि थी जो वेदों का ज्ञान रखने वालों को दी जाती थी।
तो दोस्तों यह थी महाभारत से जुड़ी हुई 3 व रहस्य जिनका अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। यह ऐसे रहस्य हैं जिनका सुलझना अभी बाकी है। महाभारत से जुड़े और भी रहस्य को जानने के लिए हमारे ब्लॉग के साथ जुड़े रहिये।
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Thanks.
इतनी अच्छी जानकारी कहाँ से लाते है आपलोग??
i love mahavarat ; all the best
मुझे महाभारत सबसे लोकप्रिय लगी।महाभारत एक ज्ञान का भंडार है जिसमें से सभी को अपने सभी सवालों के जवाब मिलते है।
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